उत्तर प्रदेश में 1.6 लाख से अधिक बूथ स्तरीय अधिकारियों द्वारा तथा राजनीतिक दलों के नियुक्त बीएलए के सहयोग से प्रत्येक विधानसभा की समस्त बूथों की मतदाता सूची को अद्यतन किया गया

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संपूर्ण निर्वाचन मशीनरी ने मतदाता सूची को दिया अंतिम रूप 


21 अप्रैल 2025 लखनऊ।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशन में वार्षिक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण -2025 का अंतिम प्रकाशन 7 जनवरी 2025  को सम्पन्न हुआ, जिसमें 1.6 लाख से अधिक बूथ स्तरीय अधिकारियों और राजनीतिक दलों के एजेंटों द्वारा मतदाता सूची को अद्यतन करने में योगदान दिया गया।

संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश श्री विनय पाठक ने बताया उत्तर प्रदेश में, 15 करोड़ से अधिक मतदाताओं के साथ, यह प्रक्रिया पारदर्शी और  वैधानिक ढंग से पूरी हुई, जिसमें फार्म के निस्तारण में निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी द्वारा लिए गए निर्णय के संबंध में कोई आपत्ति या अपील दर्ज नहीं कराई गई ।

प्रारूप सूची जनता के लिए उपलब्ध थी और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, एक महीने की अवधि में कोई अपील नहीं आई, जो सूची की सटीकता दर्शाता है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में पारदर्शी, सहभागी और विधिसम्मत प्रक्रिया के माध्यम से निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण का कार्य संपन्न हुआ है।

 इस क्रम में उत्तर प्रदेश, जो देश का सबसे बड़ा राज्य है और जहाँ पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 15 करोड़ से अधिक है, में पूरे राज्य से किसी एक भी व्यक्ति द्वारा आपत्ति या अपील न किया जाना यह सिद्ध करता है कि निर्वाचक नामावलियों का अद्यतन किया जाना पूर्णतः  विश्वासप्रद रहा है।

भारत निर्वाचन आयोग के अनुसार, भारत की निर्वाचक नामावलियाँ विश्व में सबसे बड़ी लोकतांत्रिक डेटाबेस प्रणाली हैं, जिसमें 99 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता सम्मिलित हैं। इन सूचियों को अद्यतन बनाए रखने के लिए आयोग प्रतिवर्ष अक्तूबर से दिसंबर के मध्य विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (एसएसआर) कराता है, और जनवरी के प्रथम पखवाड़े में अंतिम नामावली प्रकाशित करता है। एसएसआर 2025 का कार्यक्रम 7 अगस्त 2024 को जारी हुआ और अंतिम सूची 6 से 10 जनवरी 2025 के मध्य प्रकाशित की गई।

उत्तर प्रदेश में इस प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिए  1.6 लाख से अधिक बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की नियुक्ति की गई, जिन्होंने घर-घर जाकर मतदाताओं का विवरण सत्यापित किया। साथ ही, राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) ने भी मतदाता सूची के प्रारूपों की जाँच में सक्रिय भागीदारी निभाई। इस प्रकार निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ईआरओ) ने संशोधन कर अंतिम सूची को सार्वजनिक किया।

प्रारूप सूची आयोग की वेबसाइट और संबंधित कार्यालयों के माध्यम से जनता और राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराई गई थी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 24(क) और 24(ख) के अंतर्गत निर्धारित एक माह की अवधि में उत्तर प्रदेश में किसी भी मतदाता द्वारा न तो प्रथम अपील और न ही द्वितीय अपील दर्ज की गई, जो उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची की सटीकता, व्यापकता और विश्वसनीयता को सिद्ध करता है।

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