
‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ से समय और धन की बचत होगी, देश का विकास होगा- धर्मपाल सिंह
अन्य खबरे Apr 18, 2025 at 11:42 PM , 42लखनऊ । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने कहा कि एक राष्ट्र-एक चुनाव’ से न केवल समय व धन की बचत होगी बल्कि देश का विकास और आम जनमानस पर भी बार-बार होने वाले चुनाव का प्रभाव नहीं पड़ेगा। प्रदेश महामंत्री (संगठन) धर्मपाल सिंह ने शुक्रवार को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ में आयोजित ‘एक राष्ट्र एक चुनाव‘ के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम में प्रबुद्धजनों को संबोधित किया।
प्रदेश महामंत्री (संगठन) श्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि “एक साथ चुनाव कराना कोई नई बात नहीं है। स्वतंत्र भारत में 1951 से लेकर 1967 तक सभी राज्य की विधानसभाओं और लोकसभा के आम चुनाव साथ-साथ होते थे। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के पहले आम चुनाव 1951-52 में एक साथ आयोजित किए गए थे। यह परंपरा इसके बाद 1957, 1962 और 1967 के तीन आम चुनावों के लिए भी जारी रही। हालाँकि, कुछ राज्य विधानसभाओं के समय से पहले भंग होने के कारण 1968 और 1969 में एक साथ चुनाव कराने में बाधा आई थी। चौथी लोकसभा भी 1970 में समय से पहले भंग कर दी गई थी, फिर 1971 में नए चुनाव हुए। पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा ने पांच वर्षों का अपना कार्यकाल पूरा किया। जबकि, आपातकाल की घोषणा के कारण पांचवीं लोकसभा का कार्यकाल अनुच्छेद 352 के तहत 1977 तक बढ़ा दिया गया था। इसके बाद कुछ ही, केवल आठवीं, दसवीं, चौदहवीं और पंद्रहवीं लोकसभाएं अपना पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा कर सकीं। जबकि छठी, सातवीं, नौवीं, ग्यारहवीं, बारहवीं और तेरहवीं सहित अन्य लोकसभाओं को समय से पहले भंग कर दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में राज्य विधानसभाओं को भी इसी तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ा है। विधानसभाओं को समय से पहले भंग किया जाना और कार्यकाल विस्तार बार-बार आने वाली चुनौतियां बन गए हैं। इन घटनाक्रमों ने एक साथ चुनाव के चक्र को अत्यंत बाधित किया, जिसके कारण देश भर में चुनावी कार्यक्रमों में बदलाव का मौजूदा स्वरूप सामने आया है।
उन्होंने कहा कि अलग-अलग समय पर राज्यों में विधानसभाओं तथा लोकसभा चुनाव होने से देश के संसाधनों तथा श्रम शक्ति का ह्मस होता है। भारतीय जनता पार्टी ने 1984 के आम चुनाव में अपने घोषणा पत्र में राष्ट्र में एक राष्ट्र-एक चुनाव कराने का संकल्प लिया था। पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में गठित उच्च स्तरीय समिति ने भारत की चुनावी प्रक्रिया में एक क्रांतिकारी बदलाव की नींव रखी है। ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराना है ताकि राजनीतिक स्थिरता में मदद मिले और विकास कार्यों की निरन्तरता बनी रहे।
कार्यक्रम के संयोजक प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर ने उपस्थित प्रबुद्धजनों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक राष्ट्र एक चुनाव का विजन देश की अर्थव्यवस्था और सरकारी सुविधा के लिए बहुत ही आवश्यक है। बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन होती है। आगे कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रित देश है। एक राष्ट्र एक चुनाव संपूर्ण देशवासियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। जनता भी हर समय चुनाव के कारण परेशान रहती है। इसलिए लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव एक साथ होने से सरकारी संसाधनों पर दबाव कम होगा। सुरक्षा बल ठीक प्रकार से व्यवस्था कर पाएंगे और विकास कार्य भी बाधित नहीं होंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला ने एक राष्ट्र एक चुनाव के महत्व को बताते हुए सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के अंत में सभी ने एक मत होकर ‘एक राष्ट्र एक चुनाव‘ के बिल में अपना समर्थन दिया।
कार्यक्रम मेें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद, चिकित्सक, व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारी, विभिन्न समाजसेवी संगठन, सी०ए० संगठन के पदाधिकारी, सी०बी०एस०ई० संगठन के शिक्षकगण, मेरठ और जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, आर्किटेक्ट एसोसिएशन के सदस्य आदि सम्मिलित हुए।
Comments