किसी राम मंदिर में पहली बार बनेगा ऐसा शिखर, पढ़िए क्या होगा खास?

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अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर का निर्माण कार्य अब प्रारंभ हो चुका है। नवरात्रि के पहले दिन इस महत्वपूर्ण परियोजना का पहला पत्थर रखा गया। यह शिखर, जो कि जमीन से 161 फीट ऊँचा होगा, अगले 120 दिनों में तैयार होने की उम्मीद है। इसे नागर शैली में अष्टकोणीय रूप में बनाया जाएगा, जो इसे भारत का पहला ऐसा राम मंदिर बनाता है।

इस निर्माण के बारे में जानकारी साझा करते हुए इसके प्रमुख आर्किटेक्ट चंद्रकांत सोमपुरा ने दैनिक भास्कर को बताया कि आमतौर पर मंदिरों का शिखर चतुष्कोणीय होता है, लेकिन अयोध्या के राम मंदिर का शिखर अष्टकोणीय होगा। उन्होंने कहा, “इसमें आठ दिशाओं का ध्यान रखा गया है, और इसके लिए कई शास्त्रीय अध्ययन किए गए हैं। नेपाल के कुछ मंदिरों में अष्टकोणीय शिखर हैं, लेकिन राम मंदिर में अब तक ऐसा कोई शिखर नहीं बनाया गया था।”

इस परियोजना के संदर्भ में सोमपुरा ने सुरक्षा को लेकर भी आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, “यह संरचना पूरी तरह से सुरक्षित है। यदि आवश्यकता पड़े, तो शिखर की ऊँचाई बढ़ाई जा सकती है। नागर शैली के मंदिरों में सुरक्षा का ध्यान दोगुना रखा जाता है। गणनाएँ इस प्रकार की होती हैं कि यदि शिखर का वजन दोगुना हो जाए, तो भी नींव उस दबाव को सहन कर सके। यह शिखर रिक्टर स्केल पर 8-10 तीव्रता के भूकंप के दौरान भी सुरक्षित रहेगा।”

इसके अलावा, दूसरी मंजिल की विशेषताओं के बारे में भी जानकारी साझा की गई। सोमपुरा ने बताया कि अयोध्या राम दरबार में भगवान राम और सीता सिंहासन पर विराजमान होंगे, जबकि लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत और हनुमानजी भूमि पर बैठे होंगे। श्रद्धालुओं को दर्शन के समय ऐसा लगेगा जैसे वे राजा राम के दरबार में पहुँच गए हैं। गर्भगृह का आकार 20x20 वर्ग फीट होगा, और भगवान सीता राम की मूर्ति की ऊँचाई लगभग 5 फीट होगी।

इस अद्वितीय मंदिर के निर्माण से अयोध्या के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व में वृद्धि होने की उम्मीद है।

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