
पहले के प्राथमिक पाठशालाओं के गुरू जी केवल पढाते थे तो शिक्षा का स्तर बढ़िया था
परिवेश Aug 04, 2024 at 11:35 AM , 991पहले के प्राथमिक पाठशालाओं के गुरू जी केवल पढाते थे तो शिक्षा का स्तर बढ़िया था बाद मे इनको बहुपयोगी यंत्र बना दिया गया ये कहानी पढ़े और समझे हम कंहा से कंहा आ गये कंहा तक जाना बाकी है अभी...
एक चाय की दुकान पे सिर्फ 'चाय' बिकती थी तब वो एक नम्बर की चाय थी फिर बिस्कुट, मठरी, टोस्ट भी बिकने लगे...फिर धीरे-धीरे सिगरेट भी बिकने लगी...फिर किसी ने गुटका बेचने की भी सलाह दे डाली वो भी बिकने लगी.. अब एक काऊंटर कोल्ड ड्रिंक का भी लग गया...
एक दिन एक पर्यटक परिवार कहीं जा रहे थे उन्होंने गुटका लेने लिए कार रूकवा दी और सलाह ठोक दी कि भाई बच्चों के लिए चिप्स, नमकीन, कुरकुरे के पैकेट भी लटका लो इस सलाह पर भी अमल भी हुआ इतने सारे सामग्रियों को लाने व बेचने की व्यस्तता के कारण 'चाय' की क्वालिटी खराब होती गई अब दुकान पर नाम तो टी स्टाल का ही था चाय वाले ग्राहक मायूस होने लगे अंततः ग्राहक कम होते गए और अब अब वह दुकान पूरी तरह से बैठ गई हैअब वहाँ कुछ नहीं बिकता क्योंकि मूलत: वह एक चाय की दुकान थी जिसकी क्वालिटी खराब होने के कारण लोग दुकान पर कम आने लगे,विद्यालयों में भी पहले केवल अध्यापन हुआ करता था...समझते रहियेगा....
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